



नाम संकल्प - एकादश हनुमान चालीसा पाठ महिमा
हनुमान जी की महिमा:
हनुमान जी हिंदू धर्म के सबसे महान और पूजनीय देवताओं में से एक हैं। वे भगवान राम के परम भक्त, वीर योद्धा और अद्भुत शक्तियों के स्वामी हैं। हनुमान जी की महिमा का वर्णन अनेक हिंदू ग्रंथों में मिलता है।
महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में हनुमान जी का विस्तृत वर्णन मिलता है। जब वे पहली बार भगवान राम से मिले तो उन्होंने कहा था:
कस्त्वं कमलपत्राक्ष किमर्थं वनमागतः।
रामायण में हनुमान जी को "पवनपुत्र", "मारुति", "अंजनेय" और "महावीर" जैसे नामों से संबोधित किया गया है। उन्होंने लंका दहन, संजीवनी बूटी लाना और रावण के साथ युद्ध जैसे अनेक महान कार्य किए।
रामायण के अनुसार:
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हनमान जी का सूर्य को निगलने का प्रसंग दर्शाता है कि वे सभी ग्रहों से श्रेष्ठ हैं |
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हनुमान चालीसा के रचयिता तुलसीदास जी के अनुसार चालीसा में स्वयं कहा गया है:
"जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई"
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सुंदरकांड में हनुमान जी का वर्णन "अष्टसिद्धि नवनिधि के दाता" के रूप में किया गया है
उन्हें "विघ्नहर्ता" और "मंगलकारी" माना गया है
एकादश हनुमान चालीसा पाठ की विशेषताएं और शास्त्रीय आधार:
वैदिक परंपरा में 11 संख्या को रुद्र संख्या माना गया है। 11 रुद्र होते हैं जो विनाश और पुनर्निर्माण के देवता हैं। यह संख्या नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए विशेष मानी गई है।
वैदिक परंपरा में 11 की विशेषता:
- 11 रुद्रों की संख्या (एकादश रुद्र)
- प्राण के 10 तत्व + 1 मन = 11
- इंद्रियों की संख्या (5 ज्ञानेंद्रिय + 5 कर्मेंद्रिय + 1 मन)
- सूर्य की 11 किरणें (एकादश किरण)
एकादश हनुमान चालीसा पाठ की विशेषताएं:
आध्यात्मिक लाभ:
- मानसिक शुद्धता और एकाग्रता में वृद्धि
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश
- भय और चिंता से मुक्ति
- आत्मविश्वास में वृद्धि
शास्त्रीय मान्यता:
- एकादश पाठ हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है
- यह संख्या तत्काल फल देने वाली मानी गई है
- शनिवार और मंगलवार को एकादश पाठ का विशेष महत्व
व्यावहारिक लाभ:
- कार्यों में सफलता
- शत्रुओं से रक्षा
- स्वास्थ्य लाभ
- परिवारिक सुख-शांति
एकादश हनुमान चालीसा पाठ का वैदिक आधार:
एकादश संख्या का वैदिक महत्व:
ऋग्वेद में एकादश:
- "एकादश रुद्राः" - 11 रुद्र देवताओं का उल्लेख
- ऋग्वेद 1.43.1 में एकादश की महत्ता का वर्णन
- वायु के 11 रूप (प्राण, अपान, समान, उदान, व्यान आदि)
यजुर्वेद में संदर्भ:
- शतपथ ब्राह्मण में एकादश का विशेष स्थान
- 11 इंद्रियों का सिद्धांत (पंच ज्ञानेंद्रिय + पंच कर्मेंद्रिय + मन)
- यज्ञ में 11 होता/ऋत्विज की परंपरा
अथर्ववेद की मान्यता:
- एकादश अङ्गिरा का उल्लेख
- रक्षा मंत्रों में 11 की विशेषता
- रोग निवारण हेतु 11 बार जप की परंपरा
उपनिषदों में एकादश:
प्रश्नोपनिषद:
- प्राण के 11 स्थान का वर्णन
- जीवात्मा के 11 द्वार (नव द्वार + 2 सूक्ष्म द्वार)
मुंडकोपनिषद:
- 11 विद्याओं का सिद्धांत
- आत्मा के 11 स्तरों की व्याख्या
पुराणिक आधार:
स्कंद पुराण:
- हनुमान के 11 नामों का महत्व
- मारुति की 11 शक्तियों का वर्णन
- स्कंद पुराण में उल्लेख है कि हनुमान जी कलयुग में भी प्रत्यक्ष रूप से भक्तों की सहायता करते हैं।
"हनुमत्प्रणामात् सर्वे ग्रहाः शांति मवाप्नुयात्" (हनुमान जी के प्रणाम से सभी ग्रह शांत हो जाते हैं)
- हनुमान जी को सभी प्रकार के दोषों का नाशक बताया गया है
उन्हें "ग्रहदोषहर" की संज्ञा दी गई है
ब्रह्मवैवर्त पुराण:
- एकादश हनुमान चालीसा पाठ से देवताओं की प्रसन्नता
- कलियुग में 11 संख्या की विशेष शक्ति
भागवत पुराण:
- यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
- तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।
- यहाँ हनुमान जी को योगेश्वर के रूप में स्थापित किया गया है।
तंत्र शास्त्र में एकादश:
रुद्रयामल तंत्र:
- 11 मातृकाओं का सिद्धांत
- हनुमान साधना में 11 की महत्ता
काली तंत्र:
- एकादश कंपन का सिद्धांत
- मंत्र जप में 11 की गुणवत्ता
ज्योतिष शास्त्र का आधार:
बृहत्पराशर होरा:
- 11वें भाव की विशेषता (लाभ भाव)
- ग्रहों की 11 अवस्थाएं
जातक पारिजात:
- एकादश भाव फल में हनुमान पूजा का महत्व
- शनिवार और मंगलवार को 11 का विशेष योग
ग्रह स्पंदन:
- हनुमान चालीसा की आवृत्ति ग्रहों की नकारात्मक आवृत्ति को बदलती है
- कर्म संस्कार: पूर्व जन्मों के कर्मों का शुद्धीकरण
- प्राण शक्ति: वायु पुत्र हनुमान की कृपा से प्राण शक्ति का संचार
आयुर्वेद में एकादश:
चरक संहिता:
- शरीर में 11 मर्म स्थान
- 11 प्राण वायु का विभाजन
सुश्रुत संहिता:
- 11 इंद्रियों के रोग निवारण हेतु मंत्र चिकित्सा
- हनुमान मंत्र की चिकित्सीय शक्ति
संगीत शास्त्र का संबंध:
नारद शिक्षा:
- स्वर के 11 स्थान
- मंत्र जप में स्वर की 11 ध्वनियां
11 पाठ का वैज्ञानिक आधार:
ध्वनि तरंगों का प्रभाव: नियमित जाप से मस्तिष्क की तरंगों में सकारात्मक परिवर्तन
न्यूरोप्लास्टिसिटी: 11 दिन में मस्तिष्क में नए तंत्रिका संपर्क का निर्माण
हार्मोनल संतुलन: तनाव हार्मोन कॉर्टिसोल का स्राव कम होना
यह वैदिक परंपरा दर्शाती है कि 11 संख्या केवल एक अंक नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा का एक विशेष कंपन है जो आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है।
गुण और शक्तियाँ:
हनुमान जी अष्ट सिद्धियों और नव निधियों के स्वामी हैं।
हनुमान चालीसा में कहा गया है:
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता।।
उनकी प्रमुख शक्तियाँ हैं - अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व।
उपासना और फल:
हनुमान जी की उपासना से भक्तों को बल, बुद्धि, विद्या और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। वे भूत-प्रेत की बाधाओं से मुक्ति दिलाते हैं और भक्तों की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
हनुमान जी आदर्श भक्त, वीर योद्धा और दीनबंधु हैं। उनकी भक्ति से जीवन में नई दिशा मिलती है और आत्मा को शांति प्राप्त होती है। वे सदैव भक्तों के कष्ट हरने वाले और मंगल करने वाले हैं।
"बोल रे मन गुणगान हनुमान का।वीर हनुमान, राम के प्यारे।।"
हनुमान चालीसा का आध्यात्मिक महत्व:
हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथों में हनुमान जी को "संकटमोचन" और "दुःखहर्ता" के रूप में वर्णित किया गया है। रामायण, हनुमान चालीसा, और विभिन्न पुराणों में उनकी महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है।
हनुमान चालीसा श्री हनुमान जी की महिमा का अद्भुत स्तोत्र है जो 40 चौपाइयों में रचा गया है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्री हनुमान जी समस्त नवग्रहों के स्वामी माने गए हैं और उनकी आराधना से सभी प्रकार के ग्रह दोषों का निवारण होता है।
✨ निष्कर्ष:
"समष्टि दोष कष्ट मुक्ति नाम संकल्प - एकादश हनुमान चालीसा पाठ" केवल एक पवित्र ग्रंथ का अंश नहीं है, यह एक दिव्य औषधि है, जो शरीर, मन, आत्मा तथा भाग्य के दोषों को हरती है। ज्योतिषीय दोष हों या जीवन की कठिनाइयाँ – "एकादश हनुमान चालीसा" पाठ से हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती है और सब बाधाएं स्वतः समाप्त होती हैं। "एकादश हनुमान चालीसा" के नियमित पाठ से न केवल ग्रह दोषों का निवारण होता है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी आती है। हनुमान जी की कृपा से सभी संकटों का नाश होता है और भक्त को मनचाहा फल प्राप्त होता है।
"यदि आप अपने जीवन को निर्बाध रूप से यानी बिना किसी कष्ट या बाधा के जीना चाहते हैं तो एकादश हनुमान चालीसा के पाठ नियमित रूप से स्वयं करने चाहिए या किसी योग्य ब्राह्मण से 'नाम संकल्प' पाठ करवाना चाहिए |"
"संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा!"
जय श्री राम !
"समष्टि दोष कष्ट मुक्ति नाम संकल्प - एकादश हनुमान चालीसा" पाठ हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने का सबसे प्रभावशाली तरीका माना जाता है और यह सभी प्रकार के ग्रह दोषों का निवारण करने में सहायक है।"
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- आप अपने नाम से घर बैठे ऑनलाइन "समष्टि दोष कष्ट मुक्ति नाम संकल्प - एकादश हनुमान चालीसा पाठ" का संकल्प करा सकते हैं।
- यह पाठ प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को संपन्न होता है। योगदान करने वाले भक्तों को विशेष प्रसाद एवं मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है।
- सेवा संचालक: “यह सेवा अज्ञानी जी के सान्निध्य में, कष्ट मुक्तेश्वर सेवा समिति द्वारा संचालित की जा रही है।”
🔸 संदेश:
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यह उपाय सभी वर्गों के लिए उपयुक्त है। इसमें कोई साइड इफेक्ट नहीं है और इसे कोई भी व्यक्ति अपनी सामर्थ्य के अनुसार कर सकता है। आवश्यकता है केवल श्रद्धा, विश्वास और निष्ठा की।
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"हनुमान चालीसा का पाठ करने से न केवल ग्रह दोष नष्ट होते हैं, बल्कि जीवन में एक नया उत्साह और ऊर्जा का संचार होता है।"
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भगवान हनुमान की कृपा से सभी भक्तों के ग्रह दोष नष्ट हों और उनका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भरा हो।
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इस प्रकार "समष्टि दोष कष्ट मुक्ति नाम संकल्प - एकादश हनुमान चालीसा पाठ" की विधि एक संपूर्ण जीवन पद्धति है जो व्यक्ति को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर उन्नति प्रदान करती है।
🙏 जय श्री राम 🙏 जय श्री सालासर बालाजी 🙏 हर हर महादेव
🙏 प्रभु श्री राम की कृपा आप सभी पर बनी रहे 🙏
🙏 शास्त्री मदन गोपाल जी और कष्ट मुक्तेश्वर सेवा समिति का प्रयास सर्व-कल्याणकारी हो 🙏


