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हनुमान चालीसा से नवग्रह दोष निवारण

एकादश हनुमान चालीसा के पाठ का नवग्रह दोष निवारण में प्रभाव वैदिक, ज्योतिष और धार्मिक

परंपरा के अनुसार इस प्रकार समझाया जाता है:

 

हनुमान जी का नवग्रह संबंध: वैदिक ज्योतिष में हनुमान जी को सभी ग्रहों का स्वामी माना गया है, और उन्हें सभी नवग्रहों के दोषों का नाशक बताया गया है। गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि हनुमान जी सभी ग्रहों के कष्टों से मुक्ति दिलाने वाले हैं।

 

ग्रह-विशिष्ट प्रभाव:​

 

  • सूर्य दोष: आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि

  • चंद्र दोष: मानसिक शांति और भावनात्मक स्थिरता

  • मंगल दोष: क्रोध नियंत्रण और साहस में संतुलन

  • बुध दोष: बुद्धि और वाणी की शुद्धता

  • गुरु दोष: ज्ञान और धर्म में वृद्धि

  • शुक्र दोष: संबंधों में सुधार

  • शनि दोष: कष्टों से मुक्ति और धैर्य

  • राहु-केतु दोष: भ्रम और अज्ञानता का नाश 

 

यह परंपरा केवल धार्मिक आस्था पर आधारित है और व्यक्तिगत श्रद्धा के अनुसार फलदायी होती है।​​​​

🌺 श्री हनुमान चालीसा 🌺 ॥ दोहा ॥ श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥ ॥ चौपाई ॥ जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥ राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥ महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥ कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा॥ हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै॥ संकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग बंदन॥ विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा॥ भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज सँवारे॥ लाय सजीवन लखन जियाए। श्रीरघुबीर हरषि उर लाए॥ रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥ सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा॥ जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥ तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा॥ तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना॥ जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥ दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥ राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥ सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना॥ आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हाँक ते काँपै॥ भूत पिशाच निकट नहिं आवै। महावीर जब नाम सुनावै॥ नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥ संकट से हनुमान छुड़ावै। मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥ सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा॥ और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै॥ चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा॥ साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे॥ अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥ राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा॥ तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै॥ अन्तकाल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥ और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥ संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥ ॥ दोहा ॥ जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥ जो शत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥ ॥ दोहा ॥ पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

लाभ और परिणाम:

तत्काल लाभ (7 - 21 दिन)

  • मानसिक शांति में वृद्धि

  • भय और चिंता का निवारण

  • आत्मविश्वास में वृद्धि

  • नकारात्मक विचारों का शमन

मध्यकालीन लाभ (40 -100 दिन)

  • ग्रह दोष के लक्षणों में कमी

  • स्वास्थ्य में सुधार

  • पारिवारिक संबंधों में सुधार

  • कार्यक्षेत्र में सफलता और लाभ

दीर्घकालीन लाभ (108 दिन बाद)

  • कर्म संस्कार का शुद्धीकरण

  • भविष्य की समस्याओं से बचाव

  • समष्टि ग्रह दोष निवारण

  • आध्यात्मिक उन्नति

  • जीवन में संपूर्ण सकारात्मकता और अनंत सफलता

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