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हनुमान चालीसा से विशिष्ट दोष निवारण

एकादश हनुमान चालीसा" के नियमित पठन करवाने से इन दोषों के समाधान संभव हैं:

 

1. मांगलिक दोष: जब जन्म कुंडली में मंगल ग्रह 1, 4, 7, 8 या 12वें भाव में स्थित होता है, तो इसे मंगल दोष कहा जाता है।

  • जब प्यार मिले, लेकिन टिके नहीं…

  • शादी तय होती है… फिर कुछ होता है और बात टूट जाती है

  • मांगलिक दोष — एक बहुत गलत समझा गया विषय है।

  • लेकिन यह उतना भयानक नहीं जितना बताया जाता है —

  • सच्चाई यह है कि मंगल केवल अग्नि है — अगर वो नियंत्रित हो, तो वही रक्षक बनता है।

लक्षण:

  • रिश्ता पक्का होकर टूट जाना

  • वैवाहिक जीवन में झगड़े, चोटें, अलगाव

  • पति या पत्नी में क्रोध, कठोरता

  • शादी के बाद भी एकाकीपन

मंगल को समझो, उसे दुश्मन नहीं — सखा बनाओ। वह आपकी रक्षा के लिए खड़ा होता है, बस सही दिशा चाहिए।

 

- रावण ने जब सभी ग्रहों पर कब्जा कर लिया था, तब पवनपुत्र हनुमान ने सभी ग्रहों को रावण से मुक्त कराया था। जब उन्होंने मंगल देव को रावण के चंगुल से मुक्त कराया, तब मंगल देव ने उन्हें आशीर्वाद दिया। इसीलिए हनुमान जी को मंगल ग्रह का स्वामी माना जाता है। वैदिक परंपरा के अनुसार हनुमान जी की उपासना मंगल ग्रह की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक में बदलने का सबसे प्रभावी माध्यम है। यजमान या पीड़ित व्यक्ति अपनी श्रद्धनुसार या सामर्थ्य अनुसार "एकादश हनुमान चालीसा" का नियमित पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक में परिवर्तित किया जा सकता है।

​​

​2. काल सर्प दोष:  जब किस्मत आपकी नहीं, नागों के फंदे में हो...

"सपनों में बार-बार सांप आना... शादी तय होकर टूट जाना... सब कुछ मिलकर भी असंतोष रहना।"

कालसर्प दोष वो अदृश्य ज़ंजीर है जो इंसान को अपने ही भाग्य में बाँध देता है।

लक्षण:

  • एक के बाद एक अवसर खो जाना

  • संतान में कष्ट, बार-बार गर्भपात

  • शादी के दिन भी मन भारी

  • कोई अनजाना डर, भारीपन

- जब हनुमान जी अहिरावण नामक नाग राक्षस का वध कर सकते हैं, तो हनुमान चालीसा से आपके नाग-दोष को भी वो खत्म कर सकते हैं।

- वैदिक ज्योतिष के अनुसार काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्तियों को अपनी श्रद्धनुसार या सामर्थ्य अनुसार "एकादश हनुमान चालीसा" का नियमित पाठ करने से महत्वपूर्ण राहत मिलती है। शास्त्रों में उल्लेख है कि हनुमान जी राहु-केतु की नकारात्मक शक्तियों के नाशक हैं।

​3. पितृ दोष: जब पूर्वजों की चुप आहें वर्तमान को जकड़ लें...

"घर में कोई बात बने नहीं… बिना कारण दुख… शादी, संतान, पैसा — हर तरफ रुकावट।"

पितृ दोष, वो अनकही पुकार है… जो पूर्वजों की आत्मा हमसे करती है —

“हमें भूले नहीं, हमें शांति दो…”

लक्षण:

  • संतान न होना, या बार-बार खो देना

  • लड़कियाँ विवाह योग्य होकर भी विवाह में विघ्न

  • घर में अकाल मृत्यु

  • पितृ पक्ष में अशांति, दुःस्वप्न

पितरों की आत्मा रो रही हो तो लक्ष्मी भी रुक जाती है। पहले उन्हें संतुष्ट करें, फिर संपत्ति स्वयं आएगी।

- वैदिक परंपरा के अनुसार हनुमान जी को पितृ शांति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। पैतृक असंतुष्टि से उत्पन्न दोषों को शांत करने के लिए अपनी श्रद्धनुसार या सामर्थ्य अनुसार ""एकादश हनुमान चालीसा" का नियमित पाठ विशेष रूप से प्रभावी है। गरुड़ पुराण में वर्णित है कि हनुमान जी की कृपा से पितरों की शांति होती है।

वैदिक उल्लेख और शास्त्रीय आधार:

पुराणिक संदर्भ:

  • हनुमान पुराण: हनुमान जी को "सर्व दोष नाशक" कहा गया है

  • स्कंद पुराण: में हनुमान को "ग्रह शांतिकर" बताया गया है

  • वराह पुराण: में उल्लेख है कि हनुमान स्मरण से सभी कष्ट दूर होते हैं

विशिष्ट मंत्र शक्ति:

हनुमान चालीसा के मूल मंत्र "श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि" में स्वयं गुरु तत्व की शुद्धता का उल्लेख है, जो गुरु चांडाल योग के निवारण में प्रभावी है।

चैतन्य महाप्रभु के अनुसार:

हनुमान नाम स्मरण से सभी ग्रह दोष शांत होते हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

यह सभी उपाय श्रद्धा और नियमित अभ्यास के साथ करने पर वैदिक परंपरा के अनुसार फलदायी माने जाते हैं।

निष्कर्ष:

  • ग्रह दोष कोई सज़ा नहीं — यह चेतावनी है। चेत जाएँ।

  • पहले स्वयं समझें

  • फिर स्वयं उपाय करें

  • और फिर अन्य को भी बताएं — यही कष्ट मुक्तेश्वर सेवा समिति की सच्ची सेवा है।

- एक स्त्री के संकल्प में इतना बल है कि वह ग्रहों की चाल तक बदल सकती है।

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