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एकादश हनुमान चालीसा पाठ की चलिया का लाभ

एकादश हनुमान चालीसा पाठ के 40 चक्र करने के लाभ (वैदिक आधार सहित)

​वैदिक-शास्त्रीय आधार:

हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। यह ग्रंथ भक्तिकाल का अनुपम रत्न है, किंतु इसमें वर्णित चौपाइयाँ मंत्रशक्ति, बीजाक्षर और तांत्रिक प्रभावों से युक्त हैं।

वेदों में हनुमान जी का उल्लेख "अंजनेय", "केसरीनंदन", तथा "वायुपुत्र" रूप में मिलता है। वे महाबली, अमर, अजर और चिरंजीवी माने जाते हैं।

स्कन्द पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण, एवं पाराशर संहिता में भी हनुमान भक्ति से समस्त दोषों का नाश होने की बात कही गई है।

​१. रोग एवं शारीरिक पीड़ा का निवारण:

- मानसिक एवं शारीरिक रोगों से मुक्ति, शरीर में ऊर्जा का संचार।

 

२. आत्मबल, संकल्प शक्ति एवं आत्मविश्वास में वृद्धि:

- विचारों की शुद्धता एवं मानसिक दृढ़ता की प्राप्ति।

 

३. भूत-प्रेत बाधा, नज़र दोष एवं तांत्रिक प्रभावों से रक्षा:

- वातावरण की शुद्धि एवं नकारात्मक ऊर्जा का शमन।

 

४. ग्रहदोष एवं शनि की पीड़ा का शमन:

- शनि की साढ़ेसाती एवं ढैय्या में विशेष लाभप्रद।

 

५. ऋण मुक्ति एवं आर्थिक उन्नति:

- दैविक ऋण, पितृ ऋण एवं सांसारिक ऋण से मुक्ति का माध्यम।

 

६. कार्यसिद्धि एवं जीवन में प्रगति:

- अवरुद्ध कार्यों में गति एवं विजय की प्राप्ति।

 

७. पारिवारिक शांति एवं गृहकलह से मुक्ति:

- घर में प्रेम, समन्वय एवं मानसिक सुख की अनुभूति।

श्री हनुमान चालीसा का 40 सप्ताह प्रत्येक शनिवार को लगातार निष्ठापूर्वक 11 बार प्रतिदिन पाठ करने / या करवाने से जीवन में अद्भुत परिवर्तन आता है। भय, रोग, शोक, संताप एवं समस्त बाधाओं का नाश होता है।

 

॥ ॐ श्री हनुमते नमः ॥

जय बजरंग बली!

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